जीवन की इस सरल राह पर आया जो इक चौराहा !
कदम वहीं पर ठिठक गये
किस ओर बढू , किस राह चलूं !
कदम वहीं पर ठिठक गये
किस ओर बढू , किस राह चलूं !
राहें आपस में लड़ती थीं
सब कहती मैं हूं आसान ,
चुनो मुझे और जल्दी छूलो
अपने सपनो का आसमान ,
दुविधा में तब मन पड़ जाता
किसे चुनू किसको छोडू
ना जाने क्या मिलना आगे
कहां चलूं किस ओर मुड़ू !
सब पे एक साथ जाने को
ये पागल मन करता है
पर मन को समझा कर के
दुख के घूंट पिला कर के
पर मन को समझा कर के
दुख के घूंट पिला कर के
इक राह पे आगे बढा दिया
मानो सारी इच्छाओं को मीठी नींद सुला दिया
मानो सारी इच्छाओं को मीठी नींद सुला दिया
बस सुकून था इस मसले का
की अब एक राह होगी
की इन आंखों ने देख लिया फ़िर एक नया चौराहा ! :')
की इन आंखों ने देख लिया फ़िर एक नया चौराहा ! :')
आयुष
Nice one brother,keep it up
ReplyDeleteApplause
ReplyDeleteApplause
ReplyDeleteNic one
ReplyDeleteSuperbbb bhai
ReplyDeleteReally nice..ayush...keep it up...
ReplyDeleteBest till now..
ReplyDeletethank you all :)
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