कलम ये मेरे जब तक जी में जान है ,चलती जायेगी .
मैं इसमे ढलता जाऊंगा ,
ये मुझको लिखती जायेगी .
मैं इसमे ढलता जाऊंगा ,
ये मुझको लिखती जायेगी .
जितनी मुझ में सान्से हैं ,
उतनी स्याही है इस में ,
जितना अनुराग मुझ में है ,
उतना सम्मोहन है इस में .
उतनी स्याही है इस में ,
जितना अनुराग मुझ में है ,
उतना सम्मोहन है इस में .
ये ही मेरी है ज़ुबान,
जो मेरा अन्तर्मन लिखती.
जो भी मन में पकता है
वो शब्दों मे परोसती .
जो मेरा अन्तर्मन लिखती.
जो भी मन में पकता है
वो शब्दों मे परोसती .
मेरे सारे गीत मेरी कलम गाते जायेगी ,
सान्से थमी मान लेना ,
जो मेरी कलम रुक जायेगी .
सान्से थमी मान लेना ,
जो मेरी कलम रुक जायेगी .
आयुष :)
👌👌👌👌👌
ReplyDeletebohot sahi
ReplyDeleteअति-सुंदर !!
ReplyDeletethank u all :)
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