इक शाम को बड़ी अजब सी बात हुई
बिजली गुल हो गई , जो थोड़ी बरसात हुई
बिजली गुल हो गई , जो थोड़ी बरसात हुई
बैटरी ख़त्म जब हो गई अपने स्मार्ट यार की ,
इन्तहा ही हो गई जब इंतज़ार की
इन्तहा ही हो गई जब इंतज़ार की
तब देखा अपनी खिड़की से अजीब वाक़या
लोग आपस में भी करने लगे बातें यहाँ
लोग आपस में भी करने लगे बातें यहाँ
कोई मंदिर के किनारे खेलते अंताक्षरी
चल पड़े किस्से कहानी और शेर - ओ - शायरी
चल पड़े किस्से कहानी और शेर - ओ - शायरी
निकल आये कई अनोखे खेल वो पुराने
ऑफलाइन लगे लोग जीतने जिताने
ऑफलाइन लगे लोग जीतने जिताने
आज तो मानो की जैसे समय पीछे आ गया
मशीनों को छोड़ इंसान घर के नीचे आ गया
मशीनों को छोड़ इंसान घर के नीचे आ गया
अब तो मैं ये सोचता हूँ , क्या खूब वो करामात हो
लोग फिर इंसान हो जाएं जो रोज़ ऐसी बरसात हो ;)
लोग फिर इंसान हो जाएं जो रोज़ ऐसी बरसात हो ;)