Thursday 11 May 2017

बिजली गुल

इक शाम को  बड़ी  अजब सी बात  हुई
बिजली गुल हो गई , जो थोड़ी बरसात हुई
बैटरी ख़त्म जब हो गई अपने स्मार्ट यार की ,
इन्तहा ही हो गई जब इंतज़ार की 

तब देखा अपनी खिड़की से अजीब वाक़या
लोग आपस में भी करने लगे बातें यहाँ 

कोई मंदिर के किनारे खेलते अंताक्षरी
चल पड़े किस्से कहानी और शेर - ओ - शायरी

निकल आये कई अनोखे खेल वो पुराने
ऑफलाइन लगे लोग जीतने जिताने 

आज तो मानो की जैसे समय पीछे आ गया
मशीनों को छोड़ इंसान घर के नीचे  आ गया 

अब तो मैं ये सोचता हूँ , क्या खूब वो करामात हो
लोग फिर इंसान हो जाएं जो रोज़ ऐसी बरसात हो  ;)
-आयुष  :)  Ayush Jain