Wednesday 27 July 2016

पूर्वा :)


#पूर्वा

ऐ पूर्वा! सुन मेरी , यूं ही बहते बहते .
उसकी ओर चली जा , मेरी बात कहते कहते .
पर शोर कम मचाना , ज़रा हौले से जाना ,
क्या भरोसा  दुनिया का , यहां इंसान हैं रहते .

बिना शब्दों वालीं ये बातें पुरानी ,
हुआ करतीं थी, कभी मुंह ज़ुबानी .
सिर्फ तुझसे कहता हूं, पर वादा ये कर ,
कहीं मेरा किस्सा बन ना जाये कहानी.

मेरे कोरे पत्रों को , उसको दे आना ,
और बदले में बस उसकी , महक तू ले आना .

सुन, पूर्वा ! महक जो तु संग अपने लाती ,
वो मानो की मेरा मनुज्ज्वल कर जाती.
यूं धूल मिट्टी के छोटे छोटे कणौं में ,
कुछ हू ब हू उसकी सूरत बन जाती .

तू धीरे से जाना , और जल्दी से आना ,
मेरी ये कहानी , कहीं मत सुनाना .
और शोर कम मचाना , तू बहते बहते ,
भरोसा नहीं , यहां इंसान हैं रहते !


आयुष :)