खेल ले जी भर के ऐ किस्मत ..
जीत ले मुझसे जी भर के .
मैं भी थोडा नादां हूं,
जीत ले मुझसे जी भर के .
मैं भी थोडा नादां हूं,
खेल रहा हूं लड़ लड़ के.
करता हूं संघर्ष बहुत ,
कठिन भी है तुझसे लड़ना
करता हूं कोशिश पूरी ,
कठिन भी है तुझसे लड़ना
करता हूं कोशिश पूरी ,
पर बस तू साथ नहीं है ना .
पर कोई ना मैं सीख रहा हूं,
और मैं जल्दी सीखूंगा .
तू मोम सी पिघलेगी जब मैं ,
तुझमे लौ मेहनत की झोंकूंगा.
और मैं जल्दी सीखूंगा .
तू मोम सी पिघलेगी जब मैं ,
तुझमे लौ मेहनत की झोंकूंगा.
सुन ऐ मेरी किस्मत यूं तो हुनर भी मुझ में काफ़ी है
शायद मेरा समर्पण ही है ,जो थोडा नाकाफी है .
शायद मेरा समर्पण ही है ,जो थोडा नाकाफी है .
पर इक दिन मैं दूर करून्गा अपनी इन कमियों को भी .
मेहनत और समर्पण होगा
की साथ रहेगी तब तू भी .
तुझको मंत्रमुग्ध कर के मैं तेरा साथ कमाऊन्गा .
सीख के तेरा हुनर तुझसे ही .
मैं तुझसे जीत जाऊन्गा .
:')
सीख के तेरा हुनर तुझसे ही .
मैं तुझसे जीत जाऊन्गा .
:')
आयुष :)
(y) bahut sahi
ReplyDeletenice one (y)
ReplyDeleteGreat...it's really good to see that you are writing in Hindi...this generation is struggling for young Hindi poets..keep it up..
ReplyDeletethank you so much :)
Deleteसुन ऐ मेरी किस्मत यूं तो हुनर भी मुझ में काफ़ी है
ReplyDeleteशायद मेरा समर्पण ही है ,जो थोडा नाकाफी है .
sale har bar ek na ek line dil ko chhed dene wali likh hi ddeta hai tu
thanks :D
DeleteGreat job bro!
ReplyDeletethanks brother !
Deleteआयुष भाइ ..अपनी मातृभाषा को जिवन्त बनाये..रखने का ये आपका प्रयाश निसंदेह सराहनीय है....
ReplyDeleteकविता तो लजवाब है ही..!!
thank you so much KP :)
DeleteNic yar,keep it up
ReplyDeletety bhai
Deletety bhai
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