काश दुनिया आगे आई ना होती,
काश ज़िंदगी में पढ़ाई ना होती।
ना होता ये डिग्री, ये कॉलेज का झंझट,
ना कोचिंग ना ट्यूशन ना स्कूल का झंझट।
ना कुछ कर गुज़रने की इच्छा होती,
ना होता सफलताएं पाने का झंझट।
गर होनी ही थी, तो एक
जैसी होती,
शहर गांव कस्बों में एक जैसी होती।
नहीं जाना पड़ता फ़िर सब से बिछड़ कर,
शहर में ना बसता मैं घर से पिछड़ कर।
मां रहती, सब रहते, और मैं भी रहता,
मैं सारी तकलीफें उन्हें जाकर कहता।
पढ़ाई लिखाई में घर नहीं बिरसता,
यूं कुछ शब्द कहने को मन नहीं तरसता।
जो उनके लिये करने का सोचा है मैंने,
वो उनके ही संग रह कर मैं करता।
जो लिख लिख के करता हूँ खुद से मैं बातें,
वो सब उनको बताकर करता।
कोई मेरी बातों को 'ऊपर' पहुंचा दो,
पढ़ाई संग मुझे मेरे घर पहुंचा दो।
:)
काश ज़िंदगी में पढ़ाई ना होती।
ना होता ये डिग्री, ये कॉलेज का झंझट,
ना कोचिंग ना ट्यूशन ना स्कूल का झंझट।
ना कुछ कर गुज़रने की इच्छा होती,
ना होता सफलताएं पाने का झंझट।
गर होनी ही थी, तो एक
जैसी होती,
शहर गांव कस्बों में एक जैसी होती।
नहीं जाना पड़ता फ़िर सब से बिछड़ कर,
शहर में ना बसता मैं घर से पिछड़ कर।
मां रहती, सब रहते, और मैं भी रहता,
मैं सारी तकलीफें उन्हें जाकर कहता।
पढ़ाई लिखाई में घर नहीं बिरसता,
यूं कुछ शब्द कहने को मन नहीं तरसता।
जो उनके लिये करने का सोचा है मैंने,
वो उनके ही संग रह कर मैं करता।
जो लिख लिख के करता हूँ खुद से मैं बातें,
वो सब उनको बताकर करता।
कोई मेरी बातों को 'ऊपर' पहुंचा दो,
पढ़ाई संग मुझे मेरे घर पहुंचा दो।
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